जान देकर ईरानी महिलाओं को आज़ाद कर गई "सहर" 'The Blue Girl'
"द ब्लू गर्ल" सहर वाक़ई ईरान की महिलाओं के लिए आज़ादी की नई सुबह लाई है। 10 अक्टूबर का दिन ईरान में ऐतिहासिक होने जा रहा है। धार्मिक रूढ़िवादिता को रौंदते हुए पहली बार आज़ादी स्टेडियम, तेहरान में 3500 महिलाएं फुटबाल मैच देखेंगी। उस ईरान में जहां महिलाओं का फुटबाल मैच देखने स्टेडियम जाना प्रतिबंधित था। वहां अब महिलाएं फुटबाल देखेंगी भी अपने पसंदीदा खिलाड़ी का हौंसला भी बढ़ाएंगी।
पहले जानते हैं सहर की कहानी। सहर के माने होता है सुबह। घटना इसी साल मार्च की है। सहर खोडयारी अपने पसंदीदा खेल फुटबाल का मैच स्टेडियम जाकर देखना चाहती थी। लेकिन ईरानी क़ानून के मुताबिक महिलाओं का खेल के मैदान में जाना प्रतिबंधित है। जिसकी वजह से वह मैदान में नहीं जा सकती थी। लेकिन सहर की फुटबाल की दीवानगी ऐसी जो उसे स्टेडियम तक खींच लाई।
सहर ने पुरुषों का पोशाक पहनकर स्टेडियम जाने का प्लान बनाया। उसने मर्दों के कपड़े पहने, ब्लू विग लगाया और लंबा ओवरकोट डालकर आज़ाद स्टेडियम पहुंच गई। लेकिन रास्ते में सुरक्षाबलों ने सहर को गिरफ्तार कर लिया। सहर को इस जुर्म के लिए कोर्ट से समन भेजा गया। सहर ने अपनी ग़लती को गुनाह नहीं मानते हुए कोर्ट के बाहर ही आत्मदाह कर लिया।
सोचिए जिस ख़्वाहिश को दुनिया की लाखों-करोड़ों महिलाएं और पुरुष आसानी से पूरी कर लेते हैं। उस ख़्वाहिश में सहर जैसी लड़कियों को जान देनी पड़ती है। लेकिन हर दिन उगते सूरत के साथ एक नई सहर होती है। जो उम्मीदें और आशाओं को कामयाबी में बदलती है। जब तक दुनिया है हर दिन एक नई "सहर" होगी है। सहर की अधूरी तमन्नाओं को ईरान की महिलाएं पूरी करेंगी।
अंत में अल्बर्ट आइंस्टीन का एक कथन याद आ रहा है, "भीड़ का अनुसरण करने वाली महिलाएं आम तौर पर भीड़ से आगे नहीं बढ़ पाती। लेकिन अकेले चलने वाली महिला को खुद को उन जगहों तक ले जाती है जहां पहले कोई नहीं जा पाया।" महिलाओं को ख़ुद तय करना होगा कि वह अपनी "सहर" को ख़ुशगवार शाम और शाम को एस एक हसीन रात तक कैसे ले जाती हैं।
सहर तुमको दिल से सलाम
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