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Triple Talaq, तीन तलाक़ पर कांग्रेस का बड़ा बयान, News Extra Hindi

(Triple Talaq) को प्रतिबंधित करने संबंधी मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकार का संरक्षण) विधेयक पर संसद में एक बार फिर पेच फंस सकता है। इस विधेयक में हालांकि, तीन अहम बदलाव किए जा चुके हैं। लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) इसमें तीन साल तक की सजा के प्रावधान के खिलाफ है। कांग्रेस का कहना है कि तलाक देने पर सजा का प्रावधान किसी भी धर्म में नहीं है, तो फिर इसमें भी नहीं रखा जाए।
पूर्व में तीन तलाक विधेयक के संसद में पारित नहीं हो पाने के बाद सरकार ने इसे अध्यादेश के जरिये लागू किया है। इसी अध्यादेश के स्थान पर संशोधित विधेयक लोकसभा में पेश किया गया है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिाकार्जुन खड़गे ने 27 दिसंबर को इसे चर्चा के लिए रखे जाने पर सहमति दी है।

‘हिन्दुस्तान’ से खास बातचीत में खड़गे ने कहा कि हमने चर्चा की बात कही है। चर्चा करने और पारित करने में फर्क है। चर्चा करेंगे, सरकार का पक्ष भी सुनेंगे और अपने विचार भी रखेंगे। चूंकि यह विधेयक राष्ट्रीय महत्व का है और मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा है। इसलिए हमने इसे चर्चा के लिए लाने को कहा है।

क्या विधेयक को इस स्वरूप में कांग्रेस पारित होने देगी? इस पर उन्होंने कहा कि विधेयक में अभी भी पति को तीन साल तक की सजा का प्रावधान मौजूद है। हम शुरू से इसके खिलाफ हैं तथा इसका विरोध करेंगे। जब देश में किसी भी मजहब में तलाक देने पर सजा का प्रावधान नहीं है, तो फिर यह प्रावधान क्यों ?

खड़गे ने कहा, ‘हम मुस्लिम महिलाओं की हिफाजत चाहते हैं। लेकिन यदि पति को जेल में डाल दिया जाएगा तो परिवार का क्या होगा। मुआवजे और भरण पोषण दिए जाने की बात ठीक है। लेकिन हम सजा के प्रावधान का विरोध करेंगे।

राज्यसभा की राह मुश्किल
कांग्रेस यदि इसका विरोध करती है, तो लोकसभा में उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि लोकसभा में एनडीए के पास संख्याबल है। लेकिन राज्यसभा में उसका बहुमत नहीं है। इसलिए उच्च सदन में कांग्रेस का विरोध विधेयक की राह में फिर रोड़ा बन सकता है। पिछली बार भी विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था। लेकिन विपक्ष की ओर से कई प्रावधानों पर आपत्ति होने के कारण लटक गया था।

इस सत्र में विधेयक पारित कराना अनिवार्य
सरकार को इस सत्र में यह विधेयक पारित कराना जरूरी है, वर्ना अध्यादेश निरस्त हो जाएगा। यदि विधेयक को पारित कराने में अड़चन होती है, तो सरकार के पास सजा के प्रावधान के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का विकल्प होगा।

पहले ही हो चुके हैं तीन संशोधन
-पहला, सिर्फ महिला एवं उसके परिवार का सदस्य ही शिकायत कर सकते हैं। पहले वाले विधेयक में कोई बाहरी व्यक्ति की भी शिकायत कर सकता था।दू

सरा, यदि पति समझौता करना चाहता है, तो महिला को शिकायत वापस लेने का विकल्प दिया गया है। पहले यह प्रावधान नहीं था।तीसरा, यह अपराध गैर जमानती रहेगा लेकिन जज को जमानत देने का अधिकार दिया गया।

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