मॉडर्न नेशन स्टेट्स के मद्देनजर 1920 में पासपोर्ट आया, 1924 में वीसा रेगुलाशन्स आई, 1926 में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्सेज बनाई गई, पूरी दुनिया को एक चिड़ियाघर के अंदर तकसीम कर दिया गया, ये लंगूर है तो ये शेर है ये बंदर है तो ये कोई और ये हिरन का पिंजरा है!
मॉडर्न वेलफेयर, क्यों? 1924 में आपकी खिलाफत टूटी, रसूल अकरम (सल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फरमाया था सबसे पहली कड़ी खिलाफत की टूटेगी, मरकज़ियत की टूटेंगी, उसके बाद सारी कड़ियां टूटती जाएंगी और सबसे आखिर में जो कड़ी टूटेगी वो नमाज़ है वो टूट जाएगी!
1920 वीमेन एमनसिपेशन की मूवमेंट चली, पहला मिस वर्ल्ड कंपीटिशन, फ़ैशन शो, औरत को बाजार में लाकर खड़ा करने का तसव्वुर, फैमिली इंस्टीट्यूशन को तोड़ने का तसव्वुर! जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो दुनिया के सारे ज़रूरी काम पर वक्ती तौर पर रोक लगा दी गई थी, सिर्फ मिस वर्ल्ड कंपीटिशन ही चलता रहा, क्यो?
यूरोप के एक इंस्टीट्यूशन में एक बार मकबूल औरया साहब ने एक स्पीच में कह दिया 'There is no concept of fundamental human rights in Islam' इस्लाम मे इंसानी हुकूक का तस्व्वुर नही है, किसी तौर पर भी नही, हैरान रह गए लोग ये क्या बोल दिया!
उन्होंने बताया इंसानी हुकूक के मुताबिक एक मुल्क के अंदर अगर 5 लाख बूढ़े एक शानदार किस्म के घर के अंदर रह रहे हो, चाहे पांच लाख घरों में शानदार तरीके से रह रहे हों, जिसे 'ओल्ड एज होम' कहते, जहाँ पर उनको हर तरह की जरूरी चीज मयस्सर हो, बेहतरीन शानदार फैसिलिटी हो, तो 'According to the standard of human right' वो मुल्क दुनिया का बेहतरीन मुल्क है, लेकिन हमारा अल्लाह और इस्लाम उन पाँच लाख घरों पर लानत भेजता है जिन घरों से उनकी माँ और बाप हिजरत करके इन ओल्ड एज घरों में चले गए हो!
ये फर्क है इंसानी हुकूक और हुकूकूल इबाद का, इस्लाम रिश्ते के हिसाब से हक़ बताता है बाप का ये हक़ है माँ का ये हक़ है बीवी का ये हक है, बेटी का ये हक़ है भाई बहन का ये हक है, पड़ोसी का ये हक है!
Shamim Ahmad
तस्वीर साभार गूगल |
मॉडर्न वेलफेयर, क्यों? 1924 में आपकी खिलाफत टूटी, रसूल अकरम (सल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फरमाया था सबसे पहली कड़ी खिलाफत की टूटेगी, मरकज़ियत की टूटेंगी, उसके बाद सारी कड़ियां टूटती जाएंगी और सबसे आखिर में जो कड़ी टूटेगी वो नमाज़ है वो टूट जाएगी!
1920 वीमेन एमनसिपेशन की मूवमेंट चली, पहला मिस वर्ल्ड कंपीटिशन, फ़ैशन शो, औरत को बाजार में लाकर खड़ा करने का तसव्वुर, फैमिली इंस्टीट्यूशन को तोड़ने का तसव्वुर! जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो दुनिया के सारे ज़रूरी काम पर वक्ती तौर पर रोक लगा दी गई थी, सिर्फ मिस वर्ल्ड कंपीटिशन ही चलता रहा, क्यो?
यूरोप के एक इंस्टीट्यूशन में एक बार मकबूल औरया साहब ने एक स्पीच में कह दिया 'There is no concept of fundamental human rights in Islam' इस्लाम मे इंसानी हुकूक का तस्व्वुर नही है, किसी तौर पर भी नही, हैरान रह गए लोग ये क्या बोल दिया!
उन्होंने बताया इंसानी हुकूक के मुताबिक एक मुल्क के अंदर अगर 5 लाख बूढ़े एक शानदार किस्म के घर के अंदर रह रहे हो, चाहे पांच लाख घरों में शानदार तरीके से रह रहे हों, जिसे 'ओल्ड एज होम' कहते, जहाँ पर उनको हर तरह की जरूरी चीज मयस्सर हो, बेहतरीन शानदार फैसिलिटी हो, तो 'According to the standard of human right' वो मुल्क दुनिया का बेहतरीन मुल्क है, लेकिन हमारा अल्लाह और इस्लाम उन पाँच लाख घरों पर लानत भेजता है जिन घरों से उनकी माँ और बाप हिजरत करके इन ओल्ड एज घरों में चले गए हो!
ये फर्क है इंसानी हुकूक और हुकूकूल इबाद का, इस्लाम रिश्ते के हिसाब से हक़ बताता है बाप का ये हक़ है माँ का ये हक़ है बीवी का ये हक है, बेटी का ये हक़ है भाई बहन का ये हक है, पड़ोसी का ये हक है!
Shamim Ahmad
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